नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर, जहाँ हम आपको प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं। आज की कहानी का शीर्षक है 'बुद्धिमान साधु', जो हमें यह सिखाती है कि बुद्धि और धैर्य के बल पर किसी भी मुश्किल परिस्थिति से निकलने का रास्ता मिल सकता है। इस कहानी में साधु की बुद्धिमानी और हिम्मत ने न केवल उसे बचाया, बल्कि एक महत्वपूर्ण सीख भी दी। तो चलिए, इस कहानी को विस्तार से सुनते हैं।"
"एक समय की बात है, एक साधु जंगल के रास्ते से होकर जा रहा था। उसे अचानक सामने से एक भयंकर और खतरनाक बाघ आता हुआ दिखाई दिया। साधु का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और उसे लगने लगा कि अब उसका अंत निश्चित है। साधु को यकीन हो गया कि अब उसकी प्राणों की रक्षा संभव नहीं है और यह बाघ उसे खा जाएगा। साधु डर के मारे कांपने लगा, लेकिन फिर उसे एक विचार आया – 'मरना तो निश्चित है ही, क्यों न बाघ को कुछ अच्छा दिखाकर मन बहलाया जाए।'

साधु ने तुरंत अपनी बुद्धि का सहारा लिया और अपने थैले से एक ताली निकाली। जैसे ही बाघ पास आया, साधु ने ताली बजानी शुरू कर दी और वहां खड़ा होकर नाचने लगा। यह देखकर बाघ चौंक गया और रुक गया। बाघ ने साधु से पूछा, 'तू क्यों नाच रहा है? क्या तुझे नहीं पता कि मैं तुझे खाने वाला हूँ?' साधु ने उत्तर दिया, 'हे महाराज! मैं आपके स्वागत में नाच रहा हूँ। क्योंकि मेरे जीवन में यह पहली बार है कि मैं आपको देख रहा हूँ। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आप मेरे सामने आए हो।'
बाघ यह सुनकर थोड़ा शांत हो गया और साधु के नृत्य को देखने लगा। साधु का नृत्य देखकर बाघ को भी थोड़ा मजा आने लगा। लेकिन अभी भी बाघ के मन में शक था। उसने साधु से कहा, 'तेरी बातें सही लग रही हैं, लेकिन फिर भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि तू डर से नाच नहीं रहा। अगर सच में तू मेरा स्वागत कर रहा है, तो मुझे और कुछ दिखा।' साधु ने बाघ से कहा, 'हे महाराज! मैं आपको अपनी झोली में रखी विशेष चीज दिखाना चाहता हूँ, लेकिन आपको वचन देना होगा कि आप मुझे कुछ नहीं करेंगे।'
बाघ ने सोच-समझकर वचन दे दिया और साधु की ओर ध्यान से देखने लगा। साधु ने अपनी झोली से शीशा निकाला और बाघ को दिखाया। बाघ ने शीशे में अपनी छवि देखी और उसे लगा कि उसके सामने एक और बाघ है। बाघ अपनी छवि देखकर घबरा गया और भागने लगा।"
"अब बाघ डर के मारे दौड़ता हुआ अपने साथियों के पास पहुंचा। उसने अपनी सारी बात उन्हें बताई और कहा कि उसने वहां एक और बाघ को देखा था। जब बाघ ने यह बात अपने राजा को बताई, तो राजा को बहुत गुस्सा आया। उसने बाघ को डांटते हुए कहा, 'तुम इतने डरपोक कैसे हो सकते हो? किसी भी आदमी को तुमने कैसे छोड़ दिया? हमें उस साधु को ढूंढना होगा और उसे सजा देनी होगी।'
राजा ने तुरंत अपने अन्य बाघों को इकट्ठा किया और सभी को आदेश दिया कि वे साधु को ढूंढें और उसे मार दें। बाघों ने चारों ओर साधु की खोज शुरू कर दी। साधु को यह पता चल चुका था कि बाघ वापस आ सकते हैं, इसलिए उसने पहले से ही एक योजना बना ली थी। वह पास के पेड़ पर चढ़ गया और वहीं से बाघों की हरकतों को देखता रहा।
इस बीच, बाघों ने साधु की गुफा के पास पहुंचकर चारों ओर घेरा डाल दिया। अब बाघों का मुखिया सोचने लगा कि साधु को पकड़ने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है। वह सोच रहा था कि पेड़ के चारों ओर चक्कर लगाए, ताकि साधु भाग न सके।"
"लेकिन तभी बाघों के मुखिया के सामने एक और घटना घटी। बाघों में से एक बाघ अचानक चिल्लाने लगा और उछलकर भाग गया। वह बाघ एक पेड़ से टकरा गया और जोर-जोर से रोने लगा। बाघों का मुखिया और अन्य बाघ भी घबरा गए और समझ नहीं पा रहे थे कि यह क्या हो रहा है। साधु ने इस मौके का फायदा उठाया और बाघों की घबराहट का कारण समझ लिया।
साधु ने देखा कि बाघ को चींटी ने काट लिया था, जिससे उसे अचानक दर्द हुआ और वह डर के मारे भागने लगा। बाघ ने चींटी के काटने से हुए दर्द को तिलमिलाहट में बदल दिया और वह चींटी को मिटाने की कोशिश कर रहा था। साधु ने यह दृश्य देखा और उसने अपनी बुद्धि से निर्णय लिया कि अब वह इस मौके का लाभ उठाकर बाघों से बच सकता है।
साधु ने अपनी योजना बनाई और बाघों के मुखिया की तिलमिलाहट को भांप लिया। वह चुपचाप पेड़ से नीचे उतरा और धीरे-धीरे जंगल के दूसरी ओर निकलने लगा। बाघों के मुखिया ने देखा कि साधु गायब हो गया है और वह अब तक समझ नहीं पाया कि वह कैसे बच निकला। साधु अपनी बुद्धिमानी के बल पर बाघों को चकमा देकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया।"
इस पूरी घटना से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धि और विवेक के साथ काम करने से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यों न आ जाए, हमें अपने दिमाग और धैर्य का उपयोग करना चाहिए। साधु ने कठिन परिस्थिति में भी अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग किया और बिना किसी शारीरिक बल के अपने आपको सुरक्षित बचा लिया। हमें भी यह समझना चाहिए कि संकट के समय धैर्य और सही निर्णय ही हमें मुसीबतों से बाहर निकाल सकते हैं।
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