खुद की पहचान
आपका जीवन क्या है? आप कौन हैं? अगर इस दृष्टिकोण से हम देखें कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं? जिन-जिन चीजों को मैं बनाता हूं, वे नहीं रहेंगी. जिन-जिन चीजों से मैं प्यार करता हूं, वे नहीं रहेंगी. इस दुनिया के अंदर लोगों ने सिस्टम बनाया है कि नौकरी करो, रोजगार करो, बिजनेस करो तो धन मिलेगा और उस धन से जो आपको चाहिए, जो आपकी जरूरतें हैं, वो पूरी होंगी. पर सचमुच आपकी असली जरूरतें क्या हैं? आपको हवा की, गर्मी की जरूरत है. आपको भोजन और पानी की जरूरत है. तीन दिन पानी नहीं मिला तो हम जी नहीं सकेंगे. अगर तीन हफ्ते भोजन नहीं मिला तो हम जी नहीं सकेंगे. तीन मिनट अगर सांस नहीं चली तो मनुष्य जीवित नहीं बच सकता. पर अगर तीन दिन टीवी नहीं देखा तो उससे क्या कोई फर्क पड़ेगा ? यही समझने की चीज है कि आपकी असली जरूरत क्या है और किन चीजों को आपने अपनी जरूरत बना रखा है और क्यों बना रखा है ? इस संसार में बोले जा रहे झूठ के हम सब आदी हो गये हैं.
हमको ये झूठ नहीं लगता. हम ठगे जा रहे हैं, परंतु हम उसके इतने आदी हो गये हैं कि हमको ये नहीं लगता कि हम ठगे जा रहे हैं. पर अगर कोई कहे कि तुम ठगे जा रहे हो, तुमसे झूठ बोला जा रहा है, तो हम उसे ही झूठा कहने लगते हैं. किसी भी चीज का आदी होने का मतलब है लापरवाह होना. अगर आपसे पूछा जाये कि आप किस-किस चीज के आदी हैं, तो क्या कहेंगे आप. क्योंकि जिसके आप आदी हैं, वह आपको मालूम ही नहीं है. क्या आप अपनी सांस की ओर ध्यान देते हैं, जिसकी वजह से आप जीवित हैं? आप उन चीजों की चिंता करते हैं, जिनके सोचने से कुछ नहीं हो सकता. आपको यह भी नहीं मालूम कि सच क्या है और झूठ क्या है. सत्य यह है कि आप जीवित हैं, आपके अंदर सांस आ-जा रही है. इससे बड़ा सत्य आपके लिए कुछ हो ही नहीं सकता. सत्य के आदी बनिये. सत्य को अपनाइये. अगर आप इसे जान जायें, समझ जायें, अपना लें, तो कोई भी ऐसा दुख नहीं जो आपको परेशान कर सकता है.
- प्रेम रावत
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