ध्यान और ब्रह्मांडीय ऊर्जा
आप ध्यान क्यों करना चाहते हैं? बेहतर संतुलन के लिए, चेतना के उच्चतर स्तर को प्राप्त करने के लिए या फिर नक्षत्रीय भ्रमण के लिए. ध्यान वह अवस्था है जब हमारा शरीर वहां होता है, लेकिन हमारी चेतना, आत्मा कहीं और विचरण कर रही होती है. शरीर में रहकर भी हम आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरियंस करते हैं. ध्यान के जरिये हम दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं. एक ही समय में हम स अनुभव भी कर लेते हैं और अनुभवहीन भी होते हैं. शरीर और की सीमा से बाहर जाकर हमें बहुत सी यात्राएं करनी हैं.
एक बार हम ध्यान का अभ्यास प्रारंभ कर अध्यात्म को अपने सामान्य जीवनशै का हिस्सा बना लेते हैं और इससे जुड़े सभी नियमों का पालन भी , तो हमारा जीवन अलौकिक दिशा की ओर रुख कर लेता है. हम अपने भीतर एक ऐसे उत्साह और उल्लास से भरी ऊर्जा का अनुभव करते हैं, जिसके विषय में पहले ना हम जानते थे, ना ही कभी ऐसा सोचा था. सामान्य जीवन में हम केवल उतना ही अनुभव कर पाते हैं जितना हमारे शरीर और मस्तिष्क की सीमा है या फिर जितना हमारा सामर्थ्य है. हम भले ही अपनी सीमाओं को बढ़ाकर कुछ बड़ा करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन उसकी भी अपनी एक सीमा है. परंतु जब हम ध्यान के साथ अन्य आध्यात्मिक अभ्यास भी करने लगते हैं, तब हम स्वयं को किसी भी सीमा और घेरे से आगे धकेल पाने में सक्षम हो जाते हैं. अब हमारे पास खुला आसमान और असीमित ब्रह्मांड होता है.
हमारी यह यात्रा अंतहीन होती है, ये अनुभव भी असीमित हैं. जब हम स्थूलकाय स्तर को छोड़कर ऊपर की उठते हैं. जब हम उच्च सत्ता के साथ संपर्क साधने की कोशिश करते है । तब परिस्थितियां हमें और स्पष्ट एवं परिष्कृत हमारी एकाग्रता और ज्यादा बढ़ने लगती है. हम भौतिकवादी दृष्टिकोण, दुनिया को त्यागकर अध्यात्म की शरण में चले जाते हैं. ध्यान का अभ्यास आपको ब्रह्मांड के उन सत्यों को खोज निकालने में सहायता करेगा जिनसे आप अभी तक अनजान हैं.
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