स्त्री का रहस्य
चीनी संत लाओत्से ने स्त्री- तत्व को असाधारण महत्व दिया है : 'घाटी की आत्मा कभी नहीं मरती। हम उसे - रहस्य कहते हैं । यह वह द्वार है, जहां से पहले स्वर्ग और पृथ्वी की उत्पत्ति हुई।
लाओत्से का मर्म ओशो से बेहतर कौन समझाएगा ? उन्होंने स्त्रैण गुणों का बहुत सम्मान किया है। ओशो कहते हैं, यह घाटी की आत्मा क्या है? जहां पहाड़ हैं, वहां घाटियां होती ही हैं, लेकिन घाटी की खासियत देखिए, पहाड़ तो बनते और नष्ट होते हैं, पर घाटी नष्ट नहीं होती। घाटी सिर्फ दो पहाड़ों के बीच दिखाई देती है; यह जगह पहाड़ों के न रहने के बाद भी उतनी ही बनी रहती है। घाटी का अर्थ है - नकारात्मक अस्तित्व । अंधकार की भी वही हस्ती है। हम अंधकार को पैदा नहीं कर सकते और न ही उसे नष्ट कर सकते हैं। जब हम दीया जलाते हैं, तो अंधेरा केवल छिप जाता है। जब प्रकाश चला जाता है, तो वह मौजूद रहता है।
स्त्री शक्ति में सृष्टि का गहरा रहस्य है। इस रहस्य को जानना हो, तो स्त्री को मात्र शरीर मत समझना । जीवन में जो भी रचनात्मक है, जो भी प्रेमपूर्ण और करुणामय है, वे सब स्त्रैण गुण हैं। आज तक स्त्री को समझना इसलिए मुश्किल हुआ है, क्योंकि अस्तित्व को समझने की सारी कोशिशें पुरुषों ने ही की हैं। उनकी बुद्धि तब तक स्त्री को समझ ही नहीं पाएगी, जब तक कि उनके भीतर ये सारे स्त्री सुलभ गुण विकसित न हों। आज स्त्रैण गुणों की इतनी जरूरत है, जितनी शायद कभी नहीं थी। पुरुष राजनीतिकों ने धरती को विनाश के कगार पर | ला खड़ा किया है। काश! वे अपने भीतर बसी स्त्री से प्रेम कर सकते, तो मौत का यह तांडव ही नहीं होता ।
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