अपना रास्ता
दुनिया में हरेक व्यक्ति की अपनी अलग पहचान है। कोई व्यक्ति दूसरे सा नहीं हो सकता। जब प्रकृति ने ही हमें अलग-अलग किया है, तो हम क्यों खुद को दूसरे जैसा बनाने का प्रयास करें ? हम जैसे भी हैं, स्वयं के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए हम जो भी श्रम करें, वह इसलिए हो कि हम उठकर दूसरे तक पहुंच जाएं। और इसके लिए एक छोटी सी कोशिश भी काफी होगी।
महान लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे अपनी उन्नति का एक सूत्र बताते थे कि सुबह उठें और आईने के आगे खड़े होकर स्वयं से कहें कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति हूं कि मुझे यह सुबह नसीब हुई है और आज सारे दिन मैं खुद का सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा और फिर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश में ईमानदारी से जुट जाएं। हेमिंग्वे ने कहा कि इस प्रयोग से आप पाएंगे कि आपका स्तर दिनोंदिन ऊंचा उठता जा रहा है और आप दूसरों से अलग होते जा रहे हैं। यह गौर करने वाली बात है कि दुनिया के महानतम व्यक्ति यों में शुमार होने वाले लोगों में कुछ भी खास नहीं था, अगर कुछ खास था, तो वह था उनका आत्म-विश्वास और खुद की क्षमताओं पर अटूट विश्वास। इनके दम पर ही उन्होंने तमाम ऊंचाइयों को छुआ। हम सभी यकीनन उन ऊंचाइयों को छू सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमको अपना रास्ता खुद बनाना होगा। हमारा अंदाज हमारी पहचान है। यह यकीन दिल में रखते हुए हम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते जाएं। किसी के जैसा होने की कोशिश न करें और न ही ऐसा चाहें कि कोई आपके जैसा हो । जीवन जीने का यह सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
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